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ज़ियो और जीने दो। मानवाधिकार सुरक्षा हम सबका दायित्व है। एक बनो नेक बनो। ज़ियो और जीने दो। मानवाधिकार सुरक्षा हम सबका दायित्व है। एक बनो नेक बनो।

आपके घर के आस – पास कोई संधिग्ध परिवार या व्यक्ति जिसके क्रिया कलापो से हम परिचित नहीं हैं और आशंका है कि वह हमारे समाज को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाने की योजना में लिप्त है या उसके क्रिया कलापों से समाज दूषित हो रहा है । अतः पुलिस की ही नहीं अपितु हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि संदिग्ध व्यक्ति के बारे में संबंधित थाने को सूचित करे । यह अपराध नियंत्रण का छोटा सा पहला प्रयास बड़े संभावित अपराधों पर नियंत्रण करने में सफल हो सकता है | चूँकि ” मानवाधिकार सुरक्षा हम सबका दायित्व है।”

राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचार का इतिहास

राष्ट्रीय मानवाधिकार समाज का इतिहास 1993 से शुरू होता है जब भारत ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित किया और इसके तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग NHRC की स्थापना की जो मानवाधिकार का पहरी है | यह आयोग भारत में मानवाधिकार की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है | इसका ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा UDHR से जुड़ा है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया था और 1993 में पेरिस सिद्धांतों को अपने में भी जुड़ा है जो NHRC की स्थापना के अनुरूप है |

राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचार के मुख्य कार्य

  • यह भारत के मानवाधिकारों का पहरी है और संविधान में अंतरराष्ट्रीय संधियों द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है |
  • यह मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर सरकार को परामर्श देता है |
  • यह एक सलाहकार निकाय है और दंड देने का अधिकार नहीं है |
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचार नाम से कोई विशिष्ट राष्ट्रीय समाचार संगठन या सरकारी संस्था नहीं है |

राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचार का इतिहास

राष्ट्रीय मानवाधिकार न्यूज नामक एक विशिष्ट समाचार चैनल के बजाय विभिन्न समाचार मीडिया और पत्रकार भारत में मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों को कवर करते हैं | भारत में मानवाधिकारों से संबंधित समाचारों की कवरेज और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग NHRC की स्थापना का इतिहास निम्नलिखित है:-


  • प्रारंभिक कवरेज – भारत में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दों पर समाचार कवरेज 1993 NHRC की स्थापना के बाद अधिक व्यवस्थित और व्यापक हो गई क्योंकि आयोग ने मानवाधिकार उल्लंघनो की जांच शुरू की और सरकारों को सिफारिश की |
  • मीडिया की भूमिका – मीडिया मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं की रिपोर्टो के माध्यम से हिरासत में मौतों, पुलिस ज्तादतियों, सामाजिक भेदभाव और अन्य मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले को जनता के सामने लाता है |
  • चुनौतियां – मानवाधिकार की रक्षा के दौरान पत्रकारों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है | एक रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों ने मानवाधिकार की रक्षा करते हुए अपनी जान गवाई | संक्षिप्त में राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचारो का इतिहास मुख्य रूप से 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना के बाद से मानवाधिकार मुद्दों की बढती जागरूकता और मीडिया कवरेज का प्रतिबिम्ब है | इस तरह राष्ट्रीय मानवाधिकार न्यूज़ का इतिहास अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मनको के पालन और भारत के नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढांचे के निर्माण से जुड़ा है |

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  • संयुक्त राष्ट्र, भारतीय संविधान, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून के मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा पत्र का अनुसरण करना, अपनाना और बढ़ावा देना।
  • राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकारों के उद्देश्य का पालन करना तथा संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, अधिकार दिलाने एवं सुरक्षा हेतु संघर्ष करना।
  • सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों में व्याप्त रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को रोकना।
  • भ्रष्ट एवं रिश्वतखोर अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कराना एवं सजा दिलाना।
  • सरकारी अस्पतालों में गरीबों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाना।
  • सरकारी डॉक्टरों द्वारा मरीजों से पैसा वसूलने, सरकारी दवा न देने, बाहर की दवा लिखने या दुर्व्यवहार करने पर कानूनी कार्यवाही करवाना।
  • जुर्म, अन्याय एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु संघर्ष करना तथा शासन-प्रशासन का सहयोग करना।
  • कन्या भ्रूण हत्या रोकना और समाज को जागरूक करना।
  • बाल विवाह एवं महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर नियंत्रण करना।
  • महिला सशक्तिकरण हेतु योजनाएं संचालित करना और महिलाओं को जागरूक करना।
  • महिलाओं पर हो रहे शारीरिक एवं मानसिक शोषण को रोकना तथा दहेज प्रथा समाप्त करना।
  • बाल मजदूरी पर रोक लगाना तथा गरीब और अनाथ बच्चों के रहने, खाने और शिक्षा की व्यवस्था करना।
  • गरीब एवं अनाथ बच्चों के लिए अस्पताल और अनाथालय का निर्माण कराना।
  • पीड़ित एवं असहाय व्यक्तियों को हर संभव सहायता देना तथा उनकी समस्याओं का निस्तारण कराना।
  • प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए वृक्षारोपण और जागरूकता कार्यक्रम करना।
  • यातायात नियमों का पालन कराना तथा सड़क सुरक्षा व यातायात जागरूकता के लिए कैंप आयोजित करना।
  • असहाय और पीड़ित लोगों को कानूनी सहायता और न्याय दिलाना।
  • अपराध रोकने के लिए पुलिस प्रशासन का सहयोग करना और अपराध रोकथाम हेतु समन्वय बनाए रखना।
  • खाद्य एवं पेय पदार्थों में मिलावट करने वालों पर कानूनी कार्यवाही करवाना।
  • एड्स, कैंसर एवं अन्य घातक बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक करना।
  • स्वास्थ्य कैंप आयोजित करना और पल्स पोलियो एवं अन्य रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना।
  • लोगों को उनके मानवाधिकारों एवं संवैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूक करना।
  • केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा गरीब, जरूरतमंदों एवं किसानों के हितों हेतु चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उन्हें दिलाना।
  • गो-हत्या पर अंकुश लगाना और गोवंश संरक्षण एवं पालन को बढ़ावा देना।
  • शिक्षा का प्रसार करना एवं देश के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा पहुँचाने का प्रयास करना।
  • भारतीय नागरिकों के बीच भाईचारा, एकता, अखंडता, राष्ट्रीयता, राष्ट्रप्रेम, सहयोग एवं धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा देना।
  • लोगों को सहयोग, शिक्षा, स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित करना।
  • हिंदू

    मुस्लिम

    सिख

    ईसाई

    मानव

    कार्यकारिणी सदस्य

    ABOUT

    राष्ट्रीय मानवाधिकार समाचार, एक पारिवारिक संगठन है जो स्वंय सहायता समूह के तर्ज पर कार्य करती है. यह संगठन उन लोगों के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर है जो लोग कुछ करने की हिम्मत और भावना रखते है. जरूरत मंद और मेहनत कश लोगों का संगठन में हम स्वागत करते है|

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